जर्जर है कानून व्यवस्था,
जर्जर है कानून व्यवस्था,
और सरकार हमारी सो रही है ।
कौन सुने निरीह अबलाओं की पुकार,
विधाता ने भी कान में रूई दे रखी है ।
जर्जर है कानून व्यवस्था,
और सरकार हमारी सो रही है ।
कौन सुने निरीह अबलाओं की पुकार,
विधाता ने भी कान में रूई दे रखी है ।