जरा मेरे करीब आकर कोई गजल कहो
जरा मेरे करीब आकर कोई गजल कहो।
इन झुल्फों को बादल और इन लबों को
कंवल बता कर कोई ग़जल कहो।
जो चाहे कहो हमसे दिल से,
इश्क दिल में जगाकर कोई ग़जल कहो।
आंखों में समुंदर की गहराई है मेरे,
खुद को इस में डुबाकर कोई ग़जल कहो।
कुछ ऐसा कह दो कि दिल धड़क उठे जोर से,
मेरी नींदें उड़ाकर कोई ग़जल कहो।
खुली तेरी बाहों में सोई रहूं मैं,
फिर ख्वाबों में आकर कोई गजल कहो।
आके मेरे पास कोई नज़्म सुनाओ तुम,
या मुझे अपने पास बुलाकर कोई ग़जल कहो।