*दोहे*
जरा मृत्यु से ज़िंदगी,कभी न पाती जीत।
सत्ता दौलत शक्ति पद,सब जाते हैं रीत।।1
जीवन संयम पूर्ण तो ,लगता जैसे युद्ध।
लड़ना होता है जिसे,खुद को स्वयं विरुद्ध।।2
बात पते की एक सब,सुनो लगाकर कान।
किस्मत के सम्मुख रहे ,बेबस हर इंसान।।3
क्रूर काल की दृष्टि जब, हो जाएगी वक्र।
यम कर देंगे पूर्ण तब,जग जीवन का चक्र।।4
जी हजूर कहता नहीं, कोई भी खुद्दार।
लड़ता है हालात से ,कभी न माने हार।।5