आवाजें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
किसी की राह के पत्थर को, गर कोई हटाता है
मैं जैसा हूँ लोग मुझे वैसा रहने नहीं देते
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
(((((( (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
लेखन की पंक्ति - पंक्ति राष्ट्र जागरण के नाम,
Anamika Tiwari 'annpurna '
*वैदिक संस्कृति एक अरब छियानवे करोड़ वर्ष से अधिक पुरानी है:
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
#धर्मराज 'युधिष्ठिर' का जीवन चरित्र
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-143के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'