जय श्री राम
1
करते हैं संसार में ,वही निराले काम
मर्यादा में राम जो, और प्रेम में श्याम
2
बहुत निराली प्रीत की होती है ये डोर
मन को खुद ही बाँध के,खींचे अपनी ओर
3
बैठ भरोसे भाग्य के ,बिगड़े सारे काम
डरें नहीं जो कर्म से, करते जग में नाम
4
सूर निराला या लिखें ,तुलसी और कबीर
कोई चाहें हो विधा ,बात कहें गंभीर
5
पड़े गले में सर्प हैं ,चाँद विराजे भाल
रूप निराला देख ये ,होते भक्त निहाल
2-06-2016
डॉ अर्चना गुप्ता