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16 Jan 2024 · 1 min read

जय श्रीराम !

!! श्रीं!!
जय सियाराम !
🙏
सितम अनगिन दरिन्दों ने, हजारों बार ढाये हैं,
पड़ी थीं आपदाएँ पर, नहीं हम डगमगाये हैं ,
उगा दिनकर नयी आशा, नया संदेश लेकर के,
जलाओ‌ दीप घी के सब, अवध में राम‌ आये हैं !
***
राधे…राधे…!
***
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
🧚‍♂️🦚🧚🏽‍♂️

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Books from Mahesh Jain 'Jyoti'
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