जय श्रीराम !
!! श्रीं!!
जय सियाराम !
🙏
सितम अनगिन दरिन्दों ने, हजारों बार ढाये हैं,
पड़ी थीं आपदाएँ पर, नहीं हम डगमगाये हैं ,
उगा दिनकर नयी आशा, नया संदेश लेकर के,
जलाओ दीप घी के सब, अवध में राम आये हैं !
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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