जय श्रीराम हो-जय श्रीराम हो।
घर मंदिर दर शिवाले यही नाम हो,
जय श्रीराम हो-जय श्रीराम हो।
आकाश निर्मल है,
धरती ने भी अद्भुत स्वरूप पाया है;
पक्षी विग्रह ने भी जय गुणगान गाया है।
ऐसा संभवतः और कोई ही श्रेष्ठ धाम हो।
घर मंदिर दर शिवाले यही नाम हो,
जय श्रीराम हो-जय श्रीराम हो।
भगवान अपने धाम को आए,
मनुष्य क्या देवता भी स्वर्ग में उत्सव मनाएं।
जन्मों के वियोग के बंधन छूटे,
प्रभु के दर्शन कि आस न टूटे।
देख उनका सुंदर अनुपम मनोहर रुप,
भव बंधन से तरकर पार लग जाए।
घर मंदिर दर शिवाले यही नाम हो,
जय श्रीराम हो-जय श्रीराम हो।
सरयू के जगमग करते घाट,
जगमगाते दीयों की जैसे हाट।
जब स्वर्ग ने भी धरती की सुंदरता गायी,
हो प्रतीत यही की पुनः प्रकट हुए रघुराई।
अब किंचित भर भी और न देर हो,
शीघ्र ही श्रीराम का अभिषेक हो।
घर मंदिर दर शिवाले यही नाम हो,
जय श्रीराम हो-जय श्रीराम हो।