जय शारदा माँ
🙏
!! श्रीं !!
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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(गंगोदक छंद)
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शारदे मात की जो शरण आ गया,
मात देती उसे बुद्धि उपहार है ।
ज्ञान की रश्मियाँ उर प्रकाशित करें,
भावना से भरे रिक्त भंडार है ।।
छंद की लहरियाँ गूँजने मन लगें,
उर बने काव्य का नित्य संसार है ।
दोष सारे तिरोहित हृदय से करे,
माँ कृपा जो करे प्यार ही प्यार है ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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