“जय माता दी”
जय माता दी बोल रे भक्तों, जय माता दी बोल के।-२
जय माता दी बोल के भक्तों, अपनी किस्मत खोल ले।
जय माता दी बोल रे भक्तों, जय माता दी बोल के।
मैया मेरी बड़ी दयालु,
करती सबका है कल्याण।-२
नित दिन ध्यान करे मैया का ,
उसका होता बेड़ा पार।-२
सारे बिगड़े काम बना ले,
हांथों को तू जोड़ के।
जय माता दी बोल रे भक्तों, जय माता दी बोल के।-२
मैया रहती ऊंचे पर्वत,
चढ़ना है कुछ कठिन चढ़ाई।-२
दर पर मैया तेरे ना आया,
मन को मेरे व्याधि सताई।-२
आऊंगा मैं तेरे द्वारे,
सब कामो को छोड़ के।
जय माता दी बोल रे भक्तों, जय माता दी बोल के।-२
भवन ये तेरा स्वर्ग के जैसा,
इसकी है तू महारानी।-२
लगता है दरबार ये मैया,
जानी भी है पहचानी।-२
हर्षित हो गया मन अब मेरा,
जयकारा तेरा बोल के।
जय माता दी बोल रे भक्तों, जय माता दी बोल के।-२
दुर्गा दुर्गविनाशिनी माता,
मन की पूरी की अभिलाषा।-२
दर्शन देकर धन्य किया माँ,
करता रहूंगा मैं जगराता।-२
सारि विपदा कट गई मैया,
तेरी चुनरी ओढ़ के।
जय माता दी बोल रे भक्तों, जय माता दी बोल के।-२
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मनीष कुमार सिंह ‘राजवंशी’
असिस्टेंट प्रोफेसर(बी0एड0 विभाग)
स0ब0पी0जी0 कॉलेज
बदलापुर, जौनपुर