जय मां शारदे
जय मां शारदे!
छंद-गीतिका
विधा-गीत
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
मैं करूं आराधना मां,नित्य तेरा ध्यान हो।
मैं रहूं तेरी शरण में, ना कभी अभिमान हो।
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तू दिखाए रास्ता उस, रास्ते चलता रहूं।
साधनारत हो सदा मैं, काव्य नव रचता रहूं।।
छंद की अनुपम ऋचा का तुम मुझे हर ज्ञान दो।
मैं करूं आराधना मां , नित्य तेरा ध्यान हो।।
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प्रार्थना स्वीकार कर ले, मातु मेरी शारदे।
काव्य सिरजन मैं करूं तो, सार्थक सा सार दे।।
मैं अगर भटकूं सुपथ से, पथ्य का अनुमान दो।
मैं करूं आराधना मां, नित्य तेरा ध्यान हो।।
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दीप ज्योतिर्मय सजाकर मैं उतारूं आरती।
ज्ञान से रौशन हृदय कर, मातु मेरी भारती।।
जिंदगी से हर तमस को ,और हर अज्ञान को।
मैं करूं आराधना मां नित्य, तेरा ध्यान हो।।
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अटल मुरादाबादी