जय माँ शारदे
शुभदा, अनुकोष हृदय भर दे ।
स्वर, अक्षर का, मति का वर दे ।।
नव गीत, नया विश्वास जगे,
उत्साह जगे, अभिलाष जगे।
अणिमा, लघिमा, अभिधा बरसे,
नव हर्ष, नया उल्लास जगे।।
नवनीत धरातल को कर दे।
शुभदा, अनुकोष हृदय भर दे।।
सुख दे,सुख दे, सुख दे, सुख दे,
उर अन्तस् की जड़ता हर ले ।
हर ओर सदाशयता महके,
ध्वज भारत का जग में चमके।।
विमला, सबको सुखसागर दे।
शुभदा, अनुकोष हृदय भर दे।।
गीताधार ,छंद- तोटक , सगण ४
जगदीश शर्मा सहज