जय जय हिन्दी
(शेर)- करें नहीं अपमान हम,भारत में ऐसे हिन्दी का।
लिखने- पढ़ने- बोलने में, उपयोग करें हम हिन्दी का।।
हर भारतीय की जुबान,शान और पहचान यह हिन्दी है।
बनाकर मातृभाषा हिन्दी को हम,बढ़ाये गौरव हिन्दी का।।
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बोले हिन्दी, सीखे हिन्दी और लिखे – पढ़े हम हिन्दी।
गुणगान करें हम हिन्दी का और बोले जय जय हिन्दी।।
जय जय हिन्दी,——————-(4)
बोले हिन्दी, सीखे हिन्दी——————-।।
यह हिन्दी ही वह माध्यम है, जिसमें ममता दिखती है।
जिससे जुड़ते हैं रिश्तें अपने, हमको इज्जत मिलती है।।
भाईचारा- एकता देश में,समृद्ध करती है भाषा हिन्दी।
गुणगान करें हम हिन्दी का और बोले जय जय हिन्दी।।
जय जय हिन्दी,———————(4)
बोले हिन्दी, सीखे हिन्दी——————-।।
पहुंची है संयुक्त राष्ट्र में, गौरव बनकर हिन्दी भाषा।
हिन्दुस्तानी की शान- पहचान, जान है हिन्दी भाषा।।धरती से चलकर मंगल पर, रोशन हुई है यह हिन्दी।
गुणगान करें हम हिन्दी का और बोले जय जय हिन्दी।।
जय जय हिन्दी,——————–(4)
बोले हिन्दी, सीखे हिन्दी——————।।
कुछ लोग मगर ऐसे हैं, जो पेट हिन्दी से भरते हैं।
करने में हिन्दी में बातचीत, महसूस शर्म करते हैं।।
मातृभाषा हम भारत की, मिलकर बनाये यह हिन्दी।
गुणगान करें हम हिन्दी का और बोले जय जय हिन्दी।।
जय जय हिन्दी,——————-(4)
बोले हिन्दी, सीखे हिन्दी——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)