जय जय जय शनिदेव
“जय जय जय हे शनिदेव”
+++++++++++++++++
हे न्यायप्रिय,नवग्रहों के न्यायधीश,
दण्ड के विधान का पालन करते।
हर जन सदा रहता है भय से दूर,
शुभ कर्म करें,प्रोत्साहित करते॥
+++++++++++++++++++++++
हे सूर्य भगवान अरु छाया सुत,
घोर तप मय शिव भक्ति ही से।
आशीष मिले मात -पिता तब,
श्रद्धा सुमन संग तिल अर्पण से॥
+++++++++++++++++++++++
छवि अति सुंदर और मनोहर,
हार रूप में अनुपम वलय मिले।
कृष्ण रंग शोभा, मन की शोभा,
दोष हटे जन तन मन बहु खिले॥
+++++++++++++++++++++++
शनिवार अति प्रिय शनिदेव को,
तेल स्नान शिला हर अंग-अंग सजे।
नील पुष्प चरणों में हो नित अर्पित,
उड़द दाल की खिचड़ी भोग लगे॥
+++++++++++++++++++++++
शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश🙏