जय जय जय जय जय हनुमान
मेरा रोम रोम करता गुणगान।
जय जय जय जय जय हनुमान।।
भौतिकता के सुख दुख से अब ,
पार करो हे राम लला।
जनम सफल हो जाएगा
गर मैं कर पाउँ सबका भला।
शरण मे तेरी आकर के फिर,
न चाहूं जग में सम्मान।।
जय जय जय—–
राम नाम जो जप ले तो,
तेरे द्वार से जाए न खाली।
मनोकामना पूरण करते ,
अंजनि सुत हे बलशाली।
अब मुक्ति पाऊं भव सागर से,
चरणों में दीजै स्थान।।
जय जय जय—-
त्रेता द्धापर और कलयुग में,
आये हैं संकटमोचन।
भक्ति में मन रम ही गया अब,
स्वीकारो मारुतिनंदन।
हे अगम अगोचर अविनाशी,
सुध लीजै मेरी कृपानिधान।।
जय जय जय—–
तुमने पाये राम चरण अब,
मैं भी आया तेरी शरण।
सानिध्य तुम्हारा पाने से अब,
होगा निर्मल अंतः करण।
हर श्वांस में तेरा सुमिरन हो,
आंखों में छवि तब छूटें प्राण।।
जय जय जय—–
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव