जय कालरात्रि माता
जय कालरात्रि माता
नवरात्री दिन सातवां, कालरात्रि के नाम।
सच्ची श्रद्धा रख हृदय,करिए इन्हें प्रणाम।।
काल रात्रि का रूप यह,देता मधु संदेश।
सत्य मार्ग पालन करो,तजकर उर का क्लेश।।
गर्दभ वाहन आपका,बना भयानक रूप।
डरते इनको देखकर,असुरों के सब भूप।।
रक्तबीज को मारकर, हरा देव संताप।
ग्रंथ सभी वर्णित करें,सारा मातु प्रताप।।
गुड़ हलवा का प्रेम से, लगे मातु को भोग।
माता हर्षित हो करें,दूर कष्ट अरु रोग।।
लाल वस्त्र साधक पहन,करे मातु का ध्यान।
माता प्रमुदित हो रचें,सुंदर सकल विधान।।
नील रंग के फूल को,माता करें पसंद।
अर्पित इसको भक्त करें, मिटें सकल ही द्वंद।।
कालरात्रि को कर नमन,रचे काव्य यह ओम।
माता रानी हो कृपा,पुलकित हो मम रोम।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम