जब हम परिस्थिति को देखने का नजरिया बदलते है, तब परिस्थिति भी बदल जाती है – आनंदश्री
जब हम परिस्थिति को देखने का नजरिया बदलते है, तब परिस्थिति भी बदल जाती है – आनंदश्री
-आपकी अमीरी, गरीबी, सफलता असफलता , सेल्स और रिश्ते सभी आपके पैराडाइम पर निर्भर है
-जानिये क्या है पैराडाइम शिफ्ट
विचारो के अनेक सिद्धांतो में एक सिद्धांत कहता ही कि दुनिया वैसी नहीं है जैसी हमें दिखाई देती है , दुनिया तो वैसे है जैसे हम हम है। यह संसार हमारे ही विचारो बनाया हुया ह। यह हमारे ही विचारो का प्रतिबिम्ब है। इस ही मनोविज्ञान ने ” पैराडाइम शिफ्ट ” कहा है। किसी भी विचार को जब बार बार सोचा जाता है ,।मंथन किया जाता है तो वह हमारा पैराडाइम बन जाता है। यह हमारे लिए अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी, कि हमने बार बार क्या क्या सोचा है। रिपिटेशन ऑफ़ इनफार्मेशन से ही हमारा पैराडाइम बनाता है।
पैराडाइम को बदला जा सकता है –
एक ख़ुशी कि बात है कि पैराडाइम को शिफ्ट किया जा सकता है। आप अपने इनफार्मेशन को शिफ्ट करके अपने पैराडाइम को शिफ्ट कर सकते है। निरंतरता ही सफलता कि कुंजी है। आप को बस अपने सोच को बदलना है , आप कौनसा सा इनफार्मेशन आपके चेतन और अवचेतन मन में भेज रहे है। आपका अवचेतन मन ही नयी विचार , नए सिस्टम, नए आदत को बनाने वाला ह। आपके अवचेतन मन को प्रोग्रामिंग करे।
आमिर या गरीब होना भी पैराडाइम का ही नतीजा है। हमने जाने अनजाने में पैसे को लेकर कई मान्यताये बनाली है। अगर वह अच्छी है तो हमें आमिर बनने से कोई भी नहीं रोक सकता लेकिन अगर वह झूटी मान्यताओं वाली है , गलत है तो यही पैराडाइम हमारे और हमारे पैसे कि बिच में दिवार बन जाती है , पैसे आते आते चले जाते है। फिर लोग अमीरो से ईर्ष्या करने लगते है , यही कारण से वह और भी गरीब बन जाते है। बस अपने पैराडाइम को बदलिए।
कैसे करे मन को प्रोग्राम
जाने अनजाने में हम ने बहुत कुछ पैराडाइम बना कर रखा है। इसका मतलब हम जानते है कि पैराडाइम कैसे बनता है। लेकिन वह प्रोग्राम बेहोशी में, हमारे अंदर जाने अनजाने में बनाया गया है। हम पर बार बार रिपीट करके किसी विश्वास को फिक्स किया गया है। अब वक्त है अपने पैराडाइम को बदलने का। अपने डायरी में नयी विचार, आप क्या देखना , बनना , हासिल करना चाहते है वह लिखिए। इस पर मैंने कई रिसर्च किये है , न जाने कितने डायरी बनाये है। डायरी और कलम से अपने पैराडाइम , देखने के नजरिये को बदलते है। अपने माहौल को बदलिए , ग्रेटिटयूड कि भावना में रहिये , शुक्राना और सब्र में रहिये। हर घटना को एक अलग नज़रिये से भी देखने का प्रयास करे।
इसीलिए मैं हमेशा अपने सेमीनार में कहता हूँ – सेम सेम सेम मेक यू सेम , आप बार बार बार जो विचार करते हो वही आपकी वास्तविकता बन जाती है।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता – आनंदश्री
आध्यात्मिक व्याख्याता – माइंडसेट गुरु
मुंबई
8007179747