जब सुखी था, तो दुख घूर रहा था l
जब सुखी था, तो दुख घूर रहा था l
जब दुखी था, तो सुख दूर रहा था ll
मिला, ना मिला और ना मिला, मिला l
यह गलत सोच का, कसूर रहा था ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
जब सुखी था, तो दुख घूर रहा था l
जब दुखी था, तो सुख दूर रहा था ll
मिला, ना मिला और ना मिला, मिला l
यह गलत सोच का, कसूर रहा था ll
अरविन्द व्यास “प्यास”