जब सावन का मौसम आता
जब सावन का मौसम आता, छा जाती हरियाली।
बूँद-बूँद में भरा हुआ है,जीवन मोदक प्याली।
पात पात सब निखर रहे हैं, झूम रही हर डाली।
हरी-भरी है छटा सुहानी, मन को हरने वाली।
गुनगुन गाती है पुरवाई,पहन कान में बाली।
भींनी-भीनी खुश्बू लेकर,बहती हवा निराली।
सूर्य छुपा है घनी घटा में, निखरे उसकी लाली।
इन्द्र धनुष के रंग सुहाने, भरे गगन के थाली।
मेंढ़क टर्-टर् शोर मचाते ,गाती कोयल काली।
मन को हर्षित करने वाली,दुख को हरने वाली।
नाचे मोर पपीहा गाये, विहस रहा है माली।
छप-छप बच्चे खेल रहे हैं, बजा-बजा कर ताली।
आओ मिल कर पेड़ लगाएँ जहाँ जगह हो खाली।
भावी पीढ़ी रहे सुरक्षित, जीवन में खुशहाली।
जब सावन का मौसम आता, छा जाती हरियाली।
बूँद-बूँद में भरा हुआ है,जीवन मोदक प्याली ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली