जब सभी लपेटे जा रहे हैं तो नंबर तुम्हारा भी आणा था। by Aamir Singarya मेवाती दोहे
कुछ तो इनकी गलती है , कुछ माँ बापन की ढील ।
उमर अभी पढ़ना की है , और इनकी बनरी रील ।
जैसे तैसे बाप कमा के , पटक रहो है पार ।
खर्चो इनलू भियज रहो , रूखी सूखी खार ।
कुछ ना तंत शरीर में , और सिगरट जैसी टांग ।
अध परे सू मॉडल बणगा , खींच बीच की मांग ।
फटफट लियके दिनभर डुवलें , पहर के ऊंची पेंट ।
दियखा दियखी बढ़ती जारी है इनकी परसेंट ।
● ” के नू कहरी ” के और अलावा कुछ भी सौदा नाएं ।
मां – बापन को ख्याल नहीं , ना घर के महीं लखाएं ।
By Zubair Hanif ✍️✍️
Aamir Singarya