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4 Apr 2024 · 1 min read

जब ये मेहसूस हो, दुख समझने वाला कोई है, दुख का भर स्वत कम ह

जब ये मेहसूस हो, दुख समझने वाला कोई है, दुख का भर स्वत कम होने जाता है
Be positive 💌
ईश्वर ने हर इंसान को इतना आत्मबल जरूर दिया है कि वह अपने दुखों से को सह सके,और उस से बाहर निकल सके,मगर मनुष्य जीवन ऐसा ही है कि भावनाओं से जुड़ा,या यूं कह लें बंधा हुआ,हमे एक इंसान चाहिए होता है,जो हमारी बातों को बस चुपचाप सुन कर समझे और कुछ नहीं,वास्तव में उस इंसान से हम कुछ चाहिए ही नहीं होता है.
स्त्रियां प्राय अपनी बहन,मां या सहेली को अपना दुख कहती हैं.
इसी तरह पुरुषों को भी एक मित्र चाहिए होता है चाहे वह भाई के रूप में हो या सहकर्मी के रूप में,यह सहानुभूति जो होती है ना बहुत अलग सी चीज है,जब हम बिना बोले भी किसी की बातों को चुपचाप सुनते हैं,और सामने वाले को के ही महसूस करा देते है कि हां वह मेरी बात समझ रहा है बस इंसान होने का पर्याय हम वहीं पर पूरा कर देते हैं ।।
और मनुष्य होने के नाते,इतना तो अवश्य करना ही चाहिए ,इसके लिए कोई पैसे खर्च नहीं होते,कुछ भी नहीं लगता,बस जरा सा वक्त
तो आज की मशीनी दौड़ में,, जहां इंसान को इंसान के लिए वक्त नहीं है.अगर कोई आपके पास बैठ के अपनी बात कह रहा है ,प्लीज उसकी बातों को सुनिए समझिए,और बस इतना की हां मैं तुम्हारी बात सुन रहा हूं,समझ रहा हूं और यथा स्थिति मैं तुम्हारे साथ हूं

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