जब मैं लिखता हूँ
जब मैं लिखता हूँ
तुम्हारे लिए कोई प्रेम कविता
तो दरअसल उस वक्त
मैं इकट्ठा कर रहा होता हूँ
ख़ुद के लिए
एक मुट्ठी हवा
कि जिसमें मैं साँस ले सकूँ
जब मैं लिखता हूँ
तुम्हारे लिए कोई प्रेम कविता
तो दरअसल उस वक्त
मैं इकट्ठा कर रहा होता हूँ
ख़ुद के लिए
एक मुट्ठी हवा
कि जिसमें मैं साँस ले सकूँ