जब भी तेरा ख़्याल आता है
नमी आंखों में साथ लाता है ।
जब भी तेरा ख़्याल आता है ।।
कुछ भी रहता नहीं है यादों में ।
वक़्त लम्हों में बीत जाता है ।।
रास्तों पर सभी तो चलते हैं ।
कौन मंज़िल को अपनी पाता है।।
देख कर ही सुकून मिलता है ।
तेरा चेहरा नज़र को भाता है ।।
नमी आंखों में साथ लाता है ।
जब भी तेरा ख़्याल आता है ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद