जब तुम मुझको पढ़ती हो
जब तुम मुझको पढ़ती हो
कितनी अच्छी लगती हो..!
फिर बात क्यू नही सुनती हो
तुम गाने भी तो सुनती हो
क्या रिश्ता है छाओं से..
तुम सूरज की क्या लगती हो
में तो जीता हूं हरपल तुम में
फिर क्यों मुझपे मरती हो..
सूर्य, चन्द्रमा, तुम वसुंधरा सी
फिर क्यूं इतनी सजती हो
तुम क्यू इतनी अच्छी लगती हो,…