जब कभी प्यार की वकालत होगी
जब कभी प्यार की वकालत होगी
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जब कभी प्यार की वकालत होगी,
आशिकों से भरी अदालत होगी।
रोकते – रोकते रुकेगी रुख़सत,
हर तरफ बोलती बगावत होगी।
झौंक कर जोर भी मिले ही हारें,
प्रेम ही कीमती विरासत होगी।
बात को जो समझ गया है ढोंगी,
ढोंगपन ही सही अदावत होगी।
देख कर भी न रुके मनसीरत,
धूप से भी तेज वो शरारत होगी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)