जबकि ख़ाली हाथ जाना है सभी को एक दिन, जबकि ख़ाली हाथ जाना है सभी को एक दिन, लोग भरते हैं मगर अलमारियाँ इतनी कि बस ! @ श्याम वशिष्ठ ‘शाहिद’