जन शिक्षा मंच संघर्षशील है
जन शिक्षा मंच संघर्षशील है
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जन शिक्षा मंच संघर्षशील है,
स्वीकार नहीं कोई भी ढील है।
हाकम हुआ अत्याचारी जहाँ,
होती जन गण हानि भारी वहाँ,
खोपड़ी में घोपी खूब कील है।
स्वीकार नहीं कोइ भी ढील है।
चिराग योजना का पुर्विरोध है,
सरकारी शिक्षा नीतियाँ बोझ है,
बंद करो यह सबकी अपील है।
स्वीकार नहीं कोई भी ढील है।
बंद जुबां कभी कर सकते नहीं,
मुंह पर ताला जड़ सकते नहीं,
लोकतंत्र की जड़े गहरी मील है।
स्वीकार नहीं कोई भी ढील है।
बच्चा-बूढा बैठा आ सड़क पर,
हैं तैयार हम आ कर झड़प कर,
तालीम सरंक्षण की दलील है।
स्वीकार नहीं कोई भी ढील है।
सतबीर गोयत से सरीखे ढाल है,
सुरेश द्रविड़ पर फेंका जाल है,
सरकार कर रही हमें जलील है।
स्वीकार नहीं कोई भी ढील है।
हर संगठन का सिर पर हाथ है,
हर हाल में बननी सारी बात है,
जनता चाहती नीति में तब्दील है।
स्वीकार नहीं कोई भी ढील है।
मनसीरत भी खड़ा रण मैदान में,
जान झोंक देंगे सारी हम आन में,
ज़ोर जुल्म घोर में खुद वकील है।
स्वीकार नहीं कोई भी ढील है।
जन – शिक्षा मंच संघर्षशील है।
स्वीकार नहीं कोई भी ढील है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)