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6 Aug 2024 · 1 min read

*जन्म-दिवस आते रहें साल दर साल यूँ ही*

जन्म-दिवस आते रहें साल दर साल यूँ ही
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यारों – दोस्तों ने महफिल सजा दी यार की,
रंग-बिरंगी होली सी बरसा दी है प्यार की।

चारों-दिशाओं दुआओं की बारिश बरसाई,
हम को जरूरत नही किसी भी उपहार की।

जन्म-दिवस आते रहें साल दर साल यूँ ही,
खोज रहती है मौज-मस्ती भरे परिवार की।

रहमत से ही सलामत हैँ खुशियों भरी बहारें,
नूर-ए-नजर बरसती रहे खुदा के दीदार की।

मनसीरत मन में मचलती मीन सी इच्छाएँ,
नजरों से नजरें मिलती रहें यूँ दिलदार की।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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