*जन्म-दिवस आते रहें साल दर साल यूँ ही*
जन्म-दिवस आते रहें साल दर साल यूँ ही
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यारों – दोस्तों ने महफिल सजा दी यार की,
रंग-बिरंगी होली सी बरसा दी है प्यार की।
चारों-दिशाओं दुआओं की बारिश बरसाई,
हम को जरूरत नही किसी भी उपहार की।
जन्म-दिवस आते रहें साल दर साल यूँ ही,
खोज रहती है मौज-मस्ती भरे परिवार की।
रहमत से ही सलामत हैँ खुशियों भरी बहारें,
नूर-ए-नजर बरसती रहे खुदा के दीदार की।
मनसीरत मन में मचलती मीन सी इच्छाएँ,
नजरों से नजरें मिलती रहें यूँ दिलदार की।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
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