जन्मों का नाता
तुम
मेरे चिर परिचित हो
कई जन्मों से
निहारता आ रहा हूं तुमको
पुकारते पुकारते
खो चुका हूं वाणी
तुम्हें देखते देखते
आंखें हो गई हैं अंतर्मुखी
तुम्हारे स्मरण में बीते
कई युग कई जन्म,
अंध विवरों से
कई बार निकाला तुमने मुझको
कई बार
मैंने तुझको आवर्तों से उबारा है,
रंग भरे हैं तुमने
हर जन्म कैनवस पर
हर बार तेरे दिल में मैंने धड़कन को चलाया है।
अल्पज्ञता वश
कई बार मन
निराश हो जाता है,
एकाएक
इंद्रधनुषी रंगों से युक्त
प्रत्येक स्पंदन में
फिर
तुम ही को पाता है
न जाने तुमसे
यह
कैसा अद्भुत नाता है।