जन्माष्टमी विशेष
*बोल बडी अनमोल रे ..
अब न मुझको तोल रे..
कान्हा मेरा सबकुछ तेरा
मिट्टी से तू बोल रे..
*मैं हूं बुंद- बुंद पानी का..
करती नहीं जोर जवानी का..
समझ संभल के कदम रख रही..
पता नहीं जिंदगानी का..
*सबसे मिठा बोल रे..
कान्हा तुम कुछ बोल रे..
मानुष जन्म दिया जो तुमनें..
इसका कोई न रोल रे..
✍🏼 प्रतिभा कुमारी
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