जन्मदिन
जन्मदिन
ππππππ
कल मेरी बेटी का जन्मदिन है।इस बार बेटी की इच्छा थी कि कुछ अलग ढंग से जन्मदिन मनाया जाय।दोनों बेटियाँ अपनी मां के साथ विचार विमर्श में मगशूल हो गयीं। सामान्यतः मैं अपनी बेटियों का जन्मदिन अत्यंत साधारण ढंग से मंदिर में प्रसाद चढ़वाकर और रेस्टोरेंट में उनकी पसंदीदा चीजें खिलाकर ,कपड़े आदि दिलाकर मनाता था।तभीमैं अपने कुछ आवश्यक काम से बाजार निकल गया।कुछ अलग ढंग से जन्मदिन मनाने की बेटी की इच्छा मेरे भी दिमाग़ में घूमती रही ,पर मैं कुछ निर्णय नहीं कर पा रहा था।तभी मेरा एक पुराना दोस्त रवि अचानक दिख गया।हालचाल हुआ फिर हम दोनों वहीं पास के होटल में चाय पीने जा पहुंचे।घरेलू हालचाल के दौरान मैने रवि से बेटी के जन्मदिन के प्रस्ताव का जिक्र कर बैठा।
रवि ने मुझसे कहा देखो मित्र-सबसे उत्तम तो यह होगा कि तुम अपने बच्चों के साथ अनाथ आश्रम चले जाओ और अपने बजट के अनुरूप बिस्किट,मिठाई ,कपड़े
कापी,पेंसिल आदि लेकर चले जाओ और उन्हें अपने हाथों से वितरित करो,फिर देखो ऊन बच्चों के चेहरों की खुशियां तुम और तुम्हारा परिवार जीवन भर नहीं सकोगे।
रवि की बातों से लगा कि ये तो बहुत ही अच्छा विचार है और हमारे लिए नया भी।मुझे बेटी के जन्मदिन को मनाने का नया और अलग अंदाज मिल चुका था।
रवि से विदा लेकर मैं अपना काम निपटा कर असीम सुकून का अहसास महसूस करते हुए घर की तरफ बढ़ चला।
. ?सुधीर श्रीवास्तव