जन्मदिन मनाने की परंपरा दिखावे और फिजूलखर्ची !
मैं शकील आलम आप मुझे जन्म दिन की बधाई ना दें ।🙏🏻
मैं जन्मदिन नहीं मनाता क्यूंकि मेरी एक अलग विचारधारा है और मैं उस विचारधारा को आपके समक्ष साझा कर रहा हूँ उससे पहले मैं इसकी इतिहास को बताना चाहूँगा ।
इस परंपरा की शुरुआत !
जन्मदिन की परंपरा के इतिहास पर बात करे तो इतिहास करो ने लिखा है जन्म दिन मनाने की शुरुवात इजिप्ट से हुई थी। क्यूंकि कैलेंड शुरुवात वही शुरू हुई थी। “ऐसा कहा जाता है कि फिरौन ने ही सबसे पहले अपना जन्मदिन मनाया था। वह खुद को भगवान मानता था और लोगों से अपनी पूजा करवाता था। यह परंपरा उसी दौर से चली आ रही है।”
मेरा मानना है कि यह परंपरा आज खुशी के बजाय दिखावा और फिजूलखर्ची का प्रतीक बन चुकी है। हालंकि जन्मदिन मनाना गुनाह नहीं है, लेकिन इसमें जुड़ी कई परंपराएं अब सामाजिक और आर्थिक बोझ का कारण बन गई हैं।
मेरा मानना है, “आज जन्मदिन मनाने के लिए लोगों को पैसों की जरूरत होती है। घर सजाने, केक काटने और साउंड सिस्टम लगाने जैसी चीजों पर खर्च किया जाता है। जिनके पास पैसा है, वे इसे बड़े स्तर पर मनाते हैं, लेकिन जो लोग गरीब हैं, वे अक्सर कर्ज लेकर इस परंपरा को निभाने की कोशिश करते हैं। कई बार परिवार के पास पैसे नहीं होते, और बच्चों के जन्मदिन पर माता-पिता तनाव में आ जाते हैं। अगर किसी घर में चार-पांच लोगों की परिवार हैं, तो हर महीने जन्मदिन मनाने से घर का बजट बिगड़ सकता है।
केक पर मोमबत्तिया !
“रिसर्च में पाया गया है कि केक पर जलने वाली मोमबत्तियों से निकलने वाली राख या चून्नी केक पर गिरती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। इससे पेट की बीमारियां और एलर्जी जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।”
गिफ़्ट की परंपरा
गिफ्ट देने और लेने की परंपरा की यह एक बड़ी आर्थिक समस्या बन चुकी है। “जन्म दिन पर गिफ्ट देना आजकल एक मजबूरी बन गया है। जो लोग गिफ्ट देने में असमर्थ होते हैं, उनके रिश्तों में तनाव और विवाद पैदा हो जाता है। यह परंपरा गरीबों के लिए हीन भावना और आर्थिक बोझ का कारण बनती है।”
हिंसक बधाई
आधुनिक समय में जन्मदिन पर दोस्तों द्वारा हिंसक बधाई देने के रिवाज पर भी मैं नाराजगी जाहिर करता हूँ ।
“आजकल दोस्तों के बीच जन्मदिन पर बेल्ट से मारने का चलन बढ़ गया है। कई बार यह इतना खतरनाक हो जाता है कि खून तक बहने लगता है। ऐसे ख़बर आप कहीं ना कहीं सुने या फिर पढ़े होंगे । यह कैसी परंपरा है जो खुशी के दिन को दर्द में बदल देती है?”
झूठी शुभकामनाओं की संस्कृति…
“लोग जन्मदिन पर लंबी उम्र की कामना तो कर देते हैं, लेकिन जब मुश्किल वक्त आता है, तो वही लोग जो आपके जन्म दिन पर चेहरे पर केक लगाएं थे वही लोग जो आपको happy birthday to you बोले थे जो status पर हज़ारों साल जीने की मैसेज लिखे थे वही लोग साथ खड़े नहीं होते। हाल तक नहीं पूछते है ये एक सच्चाई है लोगों को हमारी जन्म दिन पता नहीं होता है लेकिन जब लोगों की स्टेटस देखते है फिर उसी को देख कर ही लोग हमे बधाई देते है ।
निष्कर्ष:-
जन्मदिन मनाने की वर्तमान शैली खुशी के बजाय फिजूलखर्ची, तनाव और दिखावे का कारण बन गई है। इसे सादगी और वास्तविक खुशी के साथ कोई वास्तिविकता नहीं है। यह गरीबों की भावनाओं को आहत करता है, जिनके पास एक वक्त की रोटी जुटाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। हमें इंसानियत की खुशी को देखना चाहिए ये कैसी खुशी है जिससे अपनी ख़ुशी से दूसरों की ख़ुशी छीन जाए ।
इन सभी कारणों से, मैं जन्मदिन न मनाने का निर्णय लिया हूँ । इससे न केवल पैसे की बचत होती है, बल्कि अनावश्यक तनाव और दिखावे से भी बचा जा सकता है। और उन लोगों का भी ख्याल रखा जा सकता है जो इसके लिए अव्यर्थ परिस्थितियों में है ।
केक की मोमबत्तियां नहीं, दिल का दीया जलाओ,
गिफ्ट की चाह नहीं, रिश्तों का अपनापन लाओ।
खुशी का असली मतलब गरीब की मुस्कान में है,
अपने हिस्से का हिस्सा किसी के नाम लगाओ।
#Saynotobirthday #Say_no_to_Birthday
छात्र- पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, MANUU