जन्मदिन का तोहफा**
**जन्मदिन का तोहफा**
कल जन्मदिन पर आए थे,
सुंदर सा तोहफा लेकर,
रायसियत का सुंदर प्रतीक था
जो गए थे तुम देकर।
मैंने भी अलमारी के एक कोने में,
जिसे सबसे सुरक्षित माना था,
रख दिया उसे सबसे बचा के,
तोहफा कभी जो पैमाना था।
गली के बाहर एक छोटा बच्चा,
एक कागज लिए खड़ा था,
कच्ची पेंसिल से लिखे कागज पर,
शुभकामनाओं का शब्द बड़ा था।
हां, टूटी हुई हिंदी थी,
और शब्द साफ नहीं थे,
उसके पास भावनाएं थीं,
मेरे पास शब्द भी नहीं थे।
अलमारी के उस कोने से,
तोहफा को वहां से हटा दिया,
इस छोटे से कागज के टुकड़े को,
वहां मैं लगा दिया।
आज साल बीत गए हैं,
वह बच्चा तो नहीं है,
लेकिन इस कागज में,
रायसियत बस नहीं है।
– बिंदेश कुमार झा