जन्मकुंडली
आज चोपड़ा जी आरती बिटिया को विदा कर के निश्चिंत हो गये थे। हों भी क्यों न यह शादी उनकी इच्छानुसार हुई थी। रमेश अरोरा के होनहार सुपुत्र प्रशासनिक अधिकारी अनिमेष से आरती के पूरे तीस गुण मिले थे। पंडित ने जोड़ी सुखमय व चिरस्थाई बताई थी। चोपड़ा जी जन्मकुंडली मिलाने में अटूट विश्वास रखते थे।
असलियत में चोपड़ा जी एक घटना के भुक्तभोगी थी। उनकी दो जुडवां संतानें आरती व भारती थीं। भारती एक कालेज में लेक्चरर थी और अपने सहयोगी लेक्चरर राजीव को पसंद करती थी। उसने विवाह की मंशा जाहिर की। चोपड़ा जी ने न चाहते हुए भी बेटी की जिद पर भारती व राजीव की जन्मकुंडली मिलवाई। पंडित द्वारा बताने पर कि, मात्र ग्यारह गुण मिले हैं व लड़की का विवाह के तुरंत बाद वैधव्य योग है, चोपड़ा जी इस रिश्ते से असहमत हुए ।
बाद में उन्होंने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध कोर्ट मैरिज कर ली। इस घटना को छै वर्ष हो गये। चोपड़ा परिवार ने भारती से नाता तोड़ दिया था परन्तु उन्हें हमेशा भारती की ओर से अनहोनी की आशंका रहती है।
सुबह-सुबह मोबाइल बोला। आरती का कॉल होगा। आज बैंकाक से दोनों हनीमून से लौट जो रहे थे।
“हैलो”
“मैं हरीश। हम बर्बाद हो गए चोपड़ा जी।”उधर अनिमेष के चाचा थे।
“अनिमेष का प्लेन क्रैश हो गया। मेरा अनिमेष…….”
“क्या हुआ अनिमेष ????”
“वह अब इस दुनिया में इस नहीं..” ….चाचा बोले।
चोपड़ा जी के हाथ से फोन छूट गया।
कुछ ही घंटों में दूसरी बिटिया भारती पति राजीव के साथ मम्मी-पापा के पास थी। चोपड़ा जी ने पश्चाताप करके भारती व राजीव को अपना लिया। सब आरती के पास जाने को रवाना हुए। आज चोपड़ा जी का जन्मकुंडली पर से पूर्णतः विश्वास उठ चुका था।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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