*जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है (गीत)*
जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है (गीत)
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जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है
1)
धन्य-धन्य वे लोग समर्पित, की शिक्षा को काया
विद्यालय के लिए जिन्होंने, सौंपी अपनी माया
दृढ़ निश्चयी चले पथ पर, शिक्षा की अलख जगाने
दूर-दूर तक साक्षरता के, महा लक्ष्य को पाने
विद्यालय की आकृति जिनके, श्रम का शुभ आयाम है
2)
मन जिनका शुभ गंगा जैसे, स्वर्ग लोक से आई
खोली शिव ने जहॉं जटाऍं, गंगा जहॉं समाई
शुरू हुई लेकर शुचिता को, भागीरथ-सी यात्रा
करती गई धरा को पावन, विद्या की शुचि मात्रा
विद्यालय का भवन बना ज्यों, निर्मल गंगा-धाम है
3)
खोली निजी तिजोरी, विद्यालय की भूमि खरीदी
निजी संपदा जनहित अर्पण, की विधि थी यह सीधी
विद्यालय के लिए शुरू यह, परहित की शुरुआतें
अपने सुख से बढ़कर, औरों को सुख की सौगातें
सॉंस-सॉंस शिक्षा प्रेमी की, विद्यालय के नाम है
4)
कक्ष बनाए विद्यालय में, बच्चे जिनमें पढ़ते
रचा शुभ्र परिवेश सुपावन, भावों को जो गढ़ते
जहॉं देवताओं के जैसे, शिक्षक पूजे जाते
जहॉं तीव्र अनुशासन के स्वर, मर्यादा में आते
धन्य-धन्य पद-चिह्न अकलुषित, सेवा का आयाम है
5)
धन्य-धन्य जीवन सार्थक, सेवा में गया बिताया
विद्यालय का सृजन राष्ट्रहित, उत्तम ध्येय बताया
यह है सेवा-क्षेत्र यहॉं, सेवा-व्रत सदा निभाया
विद्यालय को नील गगन में, तारों-सा चमकाया
अनगिन दीप जले जब सुंदर, उजियारा परिणाम है
जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है
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रचयिता रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451