जनसंख्या नियंत्रण कानून कब ?
हाल ही में एक रिपोर्ट आई है कि अगले कुछ सालों में भारत जनसंख्या की दृष्टि से चीन को पीछे छोड़ देगा। इस रिपोर्ट के आने के बाद देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग तेज होने लगी है। मांग क्यों नहीं की जाए ? जब देश में बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर हो और ऊपर से लगातार जनसंख्या बढ़ रही हो तो जनसंख्या का बढ़ना देश के लिए गंभीर और भीषण चुनौतियां ला सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून जल्द से जल्द लाकर इसे मिशन मोड में लागू करना चाहिए। इसके अलावा सवाल यह भी उठते हैं कि जब नोट बंदी जैसा फैसला किया जा सकता हैं, जीएसटी जैसा फैसला किया जा सकते हैं, तीन तलाक, जम्मू कश्मीर में 370 जैसी समस्या का हल किया जा सकता है तो फिर जनसंख्या नियंत्रण कानून क्यों नहीं लाया जा सकता है ?
वक्त रहते भारत अपनी जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं पाता है तो भारत में जनसंख्या विस्फोट का खतरा बना रहेगा और यूं ही जनसंख्या बढ़ती रहेगी तो देश में गरीबी बढ़ेगी, क्राइम बढ़ेगा, बेरोजगारी बढ़ेगी इसके अलावा संसाधनों की कमी होने लगेंगी, जिससे देश के हालात बिगड़ सकते है। देश की जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए सिर्फ सरकार के प्रयासों से ही काम नहीं चलेगा बल्कि देश की जनता को भी अपने स्तर पर प्रयास करने चाहिए। आज भी हमारे देश में कई लोग पुत्र मोह में तीन-तीन, चार-चार बच्चे पैदा कर देते हैं। मैं यहां पर अपने गांव के दो उदाहरण देना चाहूंगा- मेरे गांव में एक व्यक्ति ने पुत्र मोह में 12 लड़कियां पैदा कर दी और एक ने 6 लड़कियां पैदा कर दी। हां यह दोनों संपन्न परिवार और ऊंची जाति से भी है, एक ब्राह्मण तो दूसरा राजपूत है। हां यह मैं नई पीढ़ी की बात कर रहा हूं। वह दोनों शिक्षित भी हैं और दोनों के परिवार के पास जमीन और धन दौलत भी है।
जब से यह रिपोर्ट आई है तब से हमारे देश में मुस्लिम समाज को टारगेट किया जा रहा है। बहुत सारे लोग सोशल मीडिया के जरिए कह रहे हैं कि मुस्लिम समाज में आज भी 2-3 शादी करने का रिवाज है। इसके अलावा 4-5 बच्चे पैदा करने की परंपरा चली आ रही है। ऐसा नहीं है कि देश की जनसंख्या को बढ़ाने में सिर्फ मुस्लिम समाज का ही योगदान रहा हो। आपकी जानकारी के लिए बता दूं भारत की जनसंख्या करीब एक अरब 40 करोड़ के आसपास है। इसमें से मुस्लिम समाज की जनसंख्या करीब 25-30 करोड़ के आसपास है। बताइए 110 करोड़ लोग जनसंख्या ज्यादा बढ़ाएंगे या फिर 30 करोड़ लोग ? सिर्फ धार्मिक परिदृश्य से सोचना और देखना एकदम गलत है। हम सभी को मिलकर और सोच समझकर देश हित में फैसला करना चाहिए।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए की देश जनसंख्या बढ़ेगी तो सिर्फ एक ही धर्म या एक ही समाज के लोगों जिम्मेदार होंगे या एक ही समाज को नुकसान होगा। अगर जनसंख्या विस्फोट होगा तो सभी धर्म, जात और मजहब के लोगों को मुसीबतों का सामना करना होगा। अब फैसला आपके हाथ में है- आपको धर्म की घुट्टी पीनी है या फिर देश हित में सोचना है। बाकी आपने मेरा यह लेख पूरा पढ़ा इसके लिए आपको मेरा कोटि-कोटि नमन और प्रणाम।
– दीपक कोहली