जननी-अपना देश (कुंडलिया)
जननी-अपना देश (कुंडलिया)
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देते हैं श्री राम जी , जन-जन को संदेश
ऊँचा होता स्वर्ग से , जननी-अपना देश
जननी-अपना देश , न लंका लगती प्यारी
भले स्वर्ण का लोक, भरी सुविधाऍं सारी
कहते रवि कविराय , धूल पुरखों की लेते
सिर माथे स्वीकार,राज्य वन का यदि देते
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451