जनता कर्फ्यू
ये मैं पागल हूं या ये लोग पागल हैं? या फिर जिस ने इन्हें ये करने को उकसाया वो पागल है???
मतलब ये जनता कर्फ्यू का मतलब का हुआ बे ? जब कुछ घंटे घर में गुजारने के बाद यही मजलिस जमानी थी, ताली थाली और गो कोरोना के साथ नाच गाना करते हुए भीड़ में तब्दील हो पूरे शहर में घूमना था और रोग को तिब्र से तिब्रतर तरीके से फैलानी थी। तो ये जो आठ बजे बकैती हुई उसका मतलब का निकला.? यही न की अरे आे डॉक्टर बा कमर कस ले अब भर भर कर मरीज़ आने वाले हैं और तुम्हरा धंधा चमकाने वाले हैं। सरकार ऎलान कर चुकी है प्राइवेट में जांच कराने जाएंगे न तो बस चारे हजार रुपया लगेगा। होता ही कित्ता है… है कि नहीं ? घर में चार लोग हैं तो अपने से हिसाब लगाइए कितना होगा ? उसके बाद दबा दारू का कोई फिक्स दाम नहीं। मर मुरा गए तो भी का कफ़न दफ़न तो कर ही लोगे। तो फ़ालतू का चिंता कोन बात का है?
न हम तो कहते हैं ई प्रोग्राम रोज चलाओ पांच बजे के पांच बजे। देश में जनसंख्या भी बहूते बढ़ गया है… थोड़ा तो कम होना ही चाहिए… भांड में जाओ सब के सब… जय हो
~ सिद्धार्थ