राजनीति
राजनीति की ऐसी माया हर दल हैं मजबूर
जनता का शोषण करना मद मे रहना चूर
मद मे रहना चूर कि सत्ता जब मिल जाये
काट कमीशन जनता से खूब मलाई खाये
सत्ता में आयें ये कैसे रचते रहते कूटनीति
शाक्ति संपत्ति जो लाये उसे कहते राजनीति ।
अजब-अजब नेता मिल जाते दल होते परेशान
स्वयं चर्चित हों कैसे देते गजब बयान
देते गजब बयान कि दल तक हिल जायें
ये ख़ुद को अलग करें फिर उनसे मिल जायें
स्वयं अच्छे दल भी अच्छा तर्क अजब-गजब
करते काम बढ़िया पर होते अजब-अजब।
जनता भी अब आ रही बात बात की बातों मे
उल्टे सीधे काम हो रहे आज कल जो रातों मे
आज कल जो रातों मे बात बनाई जाती है
अगले दिन बातों बातों मे सजा सुनाई जाती है
आज इनका चरित्र देख कौतूहल तो है बनता
इनके दुर्गुण दूर करेगी समझ रही अब जनता।
पढना लिखना जानिये, होगी तब ना चूक ।
नेता कैसा भी मिले, रहो कभी ना मूक।।