सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
⚘*अज्ञानी की कलम*⚘
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अपनी शान के लिए माँ-बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं
आर्या कंपटीशन कोचिंग क्लासेज केदलीपुर ईरनी रोड ठेकमा आजमगढ़।
तेरी आमद में पूरी जिंदगी तवाफ करु ।
ज़िन्दगी में अब बचा क्या है?
प्रकृति भी तो शांत मुस्कुराती रहती है
*गाड़ी निर्धन की कहो, साईकिल है नाम (कुंडलिया)*
वक़्त हमें लोगो की पहचान करा देता है
बड़ी बहु को नौकर छोटी की प्रीत से
हम तो ऐसे नजारों पे मर गए: गज़ल
निर्भय दिल को चैन आ जाने दो।
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
Ghazal
shahab uddin shah kannauji