जज़्बात
मोहब्बत है बहुत नाम से तेरे मगर इकरार हो तो कैसे हो
मैं शीशा हूं और तू पत्थर के मानिंद
तुझसे इज़हार हो तो कैसे हो
प्रज्ञा गोयल ©®
मोहब्बत है बहुत नाम से तेरे मगर इकरार हो तो कैसे हो
मैं शीशा हूं और तू पत्थर के मानिंद
तुझसे इज़हार हो तो कैसे हो
प्रज्ञा गोयल ©®