जग प्रेम स्नेह का समन्दर है
उठ जाओ हुई भौर ।
गलियों में शुरू शोर ।
कोई पुकार रहा है,
महसूस करो चहुँओर ।।
बागों में खिल उठे फूल ।
पकड़ो न बातों का तूल ।
सुहावनी ऋतु आई है,
मिटा दो नफरत के शूल ।।
यह जीवन बड़ा सुंदर है ।
जानो तो वह मंदिर है ।
हर पल खुश रहिए ,
जग प्रेम स्नेह का समन्दर है ।।