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19 Dec 2016 · 1 min read

जग गया भारत : जितेंद्रकमल आनंद ( पोस्ट १६२)

जग गयी भारत हमारा देश भावन।
छँट गये बादल तमिस्रा के घनेरे ।।

है मदन- उत्सव ,खिलीं कलियॉ सुरभि भर
मधुकरों के साथ मिल मृदुहास करतीं
आम्र तरु की ये महकतीं मंजरी पर ।
कूकतीं कोयल महक से सॉस भरतीं ।
चढ जगत के मंच पर यह खुशियॉ बिखेरे।।

दे रही थी वेदना मुख म्लान कर जो
मिट चुके वे द्वंद्ध दुख सारे झमेले ।
हो चुके अम्लान अब अक्लांत हम हैं ।
लेखनी है साथ मेरे , कब अकेले ।
थाम ली पुरुषार्थ ने छेनी- हथौड़ी ।।
रूप रच पाषाढ में जीवन उकेरे ।।
— जितेंद्रकमलआनंद
सॉई विहार कालोनी रामपुर ( उ प्र )२४४९०१
दिनॉक १९-१२-१६

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Comments · 304 Views

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