जखने कथा, कविता ,संस्मरण इत्यादि अपन मुख्य धारा सँ हटि पुर्व
जखने कथा, कविता ,संस्मरण इत्यादि अपन मुख्य धारा सँ हटि पुर्वग्रसित राजनीति पथ दिस अग्रसर भ’ जायत अछि तखने बुझू साहित्य विवादित भ’ जाइत अछि ! @ डॉ लक्ष्मण झा परिमल
जखने कथा, कविता ,संस्मरण इत्यादि अपन मुख्य धारा सँ हटि पुर्वग्रसित राजनीति पथ दिस अग्रसर भ’ जायत अछि तखने बुझू साहित्य विवादित भ’ जाइत अछि ! @ डॉ लक्ष्मण झा परिमल