जइसे चाँद निकले
सज के आवे जइसे
सज जाला खेत सरसो फूल से,
हमर दिल तनी जोर से
धड़क जाला हो,
जइसे चाँद निकले बदरी के कोर से,
घूंघट सरके त ओकर
चेहरा नजर आला हो,
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दूर बजे जैसे बंसी मग्न नेह में
गुण- गुणावे त सुर ओसही लग जाला हो,
जइसे भोरे झड़े बून्द ओस के दुभ से,
ओकर बतिया से स्नेह ओसही झड़ जाला हो।
जइसे चाँद निकले……
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