Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2024 · 1 min read

जंगल बियाबान में

जंगल बियाबान में इसे सुनशान में ओर नही कोई सार्थी, इसे टेम जो बर्ने हिमाती’ ना किसी को ओकात है। 11

पानी-पानी रै करते पावै, ओर किसे का ना कुछ भी खावे, जाकै उनकी जान बचाले, पीले तो तू पानी प्यादे ये तेरा पश्चाताप

जा सेवा कर धर्म कमाले ठा उनको छाती कै लाले, ईश्वर के घर देर नहीं है मिलज्या फल अंधेरा यह दुनिया का विश्वास है

बलदेव सिंह मनै होश नहीं है उस ईश्वर का भी दोष नहीं है करणी भरणी आगे आवै कुदरत भी ये खेल खिलावै ना कोरी बकवास है।.

10:06 am

86 Views

You may also like these posts

सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पतालों की हालत में सुधार किए जाएं
सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पतालों की हालत में सुधार किए जाएं
Sonam Puneet Dubey
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मन का आँगन
मन का आँगन
Mamta Rani
स्वीकार कर
स्वीकार कर
ललकार भारद्वाज
आमावश की रात में उड़ते जुगनू का प्रकाश पूर्णिमा की चाँदनी को
आमावश की रात में उड़ते जुगनू का प्रकाश पूर्णिमा की चाँदनी को
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
चाह की चाह
चाह की चाह
बदनाम बनारसी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Yogmaya Sharma
मदिरा सवैया
मदिरा सवैया
Rambali Mishra
#अनुत्तरित प्रश्न
#अनुत्तरित प्रश्न
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
बहुत कहानी तुमने बोई
बहुत कहानी तुमने बोई
Suryakant Dwivedi
विश्वासघात से आघात,
विश्वासघात से आघात,
लक्ष्मी सिंह
"वक्त के पाँव में"
Dr. Kishan tandon kranti
Outsmart Anxiety
Outsmart Anxiety
पूर्वार्थ
क्या इंसान को इंसान की जरूरत नहीं रही?
क्या इंसान को इंसान की जरूरत नहीं रही?
Jyoti Roshni
बुद्ध पूर्णिमा विशेष:
बुद्ध पूर्णिमा विशेष:
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तेवरी’ प्रेमालाप नहीं + आदित्य श्रीवास्तव
तेवरी’ प्रेमालाप नहीं + आदित्य श्रीवास्तव
कवि रमेशराज
3002.*पूर्णिका*
3002.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ये अमलतास खुद में कुछ ख़ास!
ये अमलतास खुद में कुछ ख़ास!
Neelam Sharma
दर्द आँखों में आँसू  बनने  की बजाय
दर्द आँखों में आँसू बनने की बजाय
शिव प्रताप लोधी
मैं ही राष्ट्रपिता
मैं ही राष्ट्रपिता
Sudhir srivastava
जलता हूं।
जलता हूं।
Rj Anand Prajapati
अवसर तलाश करते हैं
अवसर तलाश करते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
प्रतीक्षा, प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा
प्रतीक्षा, प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*दिन गए चिट्ठियों के जमाने गए (हिंदी गजल)*
*दिन गए चिट्ठियों के जमाने गए (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
Dr Tabassum Jahan
ज़माने की निगाहों से कैसे तुझपे एतबार करु।
ज़माने की निगाहों से कैसे तुझपे एतबार करु।
Phool gufran
परिणाम से पहले
परिणाम से पहले
Kshma Urmila
ये खत काश मेरी खामोशियां बयां कर पाती,
ये खत काश मेरी खामोशियां बयां कर पाती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
- मोहब्बत की राह -
- मोहब्बत की राह -
bharat gehlot
पुष्प रुष्ट सब हो गये,
पुष्प रुष्ट सब हो गये,
sushil sarna
Loading...