छोड़ जाएंगे
छोड़ जाएंगे
आंसू पलकों में
याद ख्वाबों में
जरूरत ख्वाहिशों में
लेकर पथ में साथ
सफर पे निकल जाएंगे!
छोड़ जाएंगे!
हां! छोड़ जाएंगे!
तेरा शहर!
तेरी गली!
तेरी याद!
जहां भी अकेला पाएंगे!
छोड़ जाएंगे!
ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेंगे
कहीं फूल सा खिलेंगे
सहकर तड़प मिलने की
मुरझा कर गिर जाएंगे!
छोड़ जाएंगे!
दूर ठीकाना तलाशेंगे
जब भी मिरर में झांकेंगे
फैलेगी उसमें मुस्कान
अश्कों में उसे बहाएंगे!
छोड़ जाएंगे!
रहेंगे या नहीं पता क्या?
गिला, शिकवा,खता क्या?
सहना है दर्द जो भी
हंसकर कंधे उठाएंगे!
छोड़ जाएंगे!
रोहताश वर्मा ‘मुसाफ़िर’