Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2021 · 3 min read

छोटो से भी शिक्षा मिल सकती हैं

छोटो से भी शिक्षा मिल सकती है
*************************

“सुबह से हीरसोई में नल से पानी रिस रहा है,” पत्नी बोली, जरा प्लम्बर को टेलीफोन कर दो वह जल्दी से आ जाए नहीं तो ऊपर की टंकी का सारा पानी खतम हो जायेगा। गर्मी का मौसम है वैसे ही पानी की बड़ी किल्लत चल रही है” । मैंने परिस्थिति का तुरंत जायजा लेते हुए प्लम्बर को टेलीफोन कर दिया और उसे पानी बहने की बात भी बता दी।वह बेचारा पंद्रह मिनट के अंदर मेरे घर आ गया और तुरंत नल ठीक करने लगा।
मैं उसको काम करते देख रहा था।उसने अपने थैले से एक रिंच निकाली। रिंच की डंडी टूटी हुई थी। मैं चुपचाप देखता रहा कि वह इस रिंच से कैसे काम करेगा? उसने पाइप से नल को अलग किया। पाइप का जो हिस्सा गल गया था, उसे काटना था। उसने फिर थैले में हाथ डाला और एक पतली-सी आरी उसने निकाली। आरी भी आधी टूटी हुई थी। मैं मन ही मन सोच रहा था कि पता नहीं किसे बुला लिया हूं ? इसके औजार ही ठीक नहीं तो फिर इससे क्या काम होगा ?
वह धीरे-धीरे अपनी मुठ्टी में आरी पकड़ कर पाइप पर चला रहा था। उसके हाथ सधे हुए थे। कुछ मिनट तक आरी आगे-पीछे किया और पाइप के दो टुकड़े हो गए। उसने गले हिस्से को बाहर निकाला और बाकी हिस्से में नल को फिट कर दिया।
इस पूरे काम में उसे दस मिनट का समय लगा। मैंने उसे 100 रूपये दिए तो उसने कहा कि इतने पैसे नहीं बनते साहब। आप आधे दीजिए। उसकी बात पर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। मैने उससे पूछा। “क्यों भाई? पैसे भी कोई छोड़ता है क्या?” लेकिन उसके उत्तर ने मुझे सच का ऐसा साक्षात्कार कराया की मैं हैरान हो गया। उसने कहा कि “सर, हर काम के तय पैसे होते हैं। आप आज अधिक पैसे देंगे, मुझे अच्छा भी लगेगा, लेकिन मुझे हर जगह इतने पैसे नहीं मिलेंगे तो फिर तकलीफ होगी। हर चीज़ का रेट तय है। आप उतने ही पैसे दें जितना बनता है।“ मैंने धीरे से प्लंबर से कहा कि तुम नई आरी खरीद लेना, रिंच भी खरीद लेना। काम में आसानी होगी।अब प्लंबर हंसा। “अरे नहीं सर, औजार तो काम में टूट ही जाते हैं। पर इससे काम नहीं रुकता।“*
मैंने हैरानी के साथ उससे कहा कि अगर रिंच सही हो, आरी ठीक हो तो काम आसान नहीं हो
जाएगा?हो सकता है हो जाए। लेकिन सर, आप जिस ऑफिस में काम करते हैं वहां आप किस पेन से लिख रहे हैं उससे क्या फर्क पड़ता है? लिखना आना चाहिए। लिखना आएगा तो किसी भी पेन से आप लिख लेंगे। नहीं लिखना आएगा तो चाहे जैसी भी कलम हो, आप नहीं लिख पाएंगे। हुनर हाथ में है मशीन में नहीं। सर इसे तो टूल कहते हैं। इससे अधिक कुछ नहीं। जैसे आपके लिए कलम है, वैसे ही मेरे लिए ये टूल। ये थोड़े टूट गए हैं, लेकिन काम आ रहे हैं। नया लूंगा फिर यही हिस्सा टूटेगा। जब से ये टूटा है इसमें टूटने को कुछ बचा ही नहीं।अब काम आराम से चल रहा है। मैं चुप था। दिन-भर की मेहनत से ईमानदारी से कमाने वाले के चेहरे पर संतोष की जो लकीर मैं देख रहा था, वह सचमुच हैरान करने वाला था। मुझे लग रहा था कि हम सारा दिन पैसों के पीछे भागते हैं। पर जब मेहनत और ईमानदारी का टूल हमारे पास हो तो असल में बहुत पैसों की ज़रूरत ही नहीं रह जाती हमें बहुत से लोगों से सीखना है। ये लोग स्कूल में नहीं पढ़ते/पढ़ाते। ये ज़िंदगी की यात्रा में कहीं भी किसी भी समय मिल जाते हैं। ज़रूरत तो है ऐसे लोगों को पहचानने की; इनसे सीखने की। झुक कर इनकी सोच को सम्मान करने की।
मैंने कुछ कहा नहीं। प्लंबर से पूछा कि चाय तो पियोगे? उसने कहा, नहीं सर। बहुत काम है। कई घरों में पानी रिस रहा है। उन्हें ठीक करना है। सर, पानी बर्बाद न हो, इसका तो हम सबको ही ध्यान रखना है।
वह तो चला गया पर मैं बहुत देर तक सोचता रहा। काश! हम सब ऐसे ही प्लंबर होते! जो पानी बहने का इतना ध्यान रखते और उसकी कीमत समझते है और किस उसकी मजबूरी का फायदा उठाकर उससे ज्यादा पैसे नहीं लेते। अगर इन छोटी छोटी बातों को सभी नागरिक ध्यान दे तो कोई भी किसी की मजबूरी का फायदा नहीं उठाएगा और हम सब इस कोराना महामारी का मुकाबला कर सकते है और ये जंग जीत सकते है।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
2 Likes · 596 Views
Books from Ram Krishan Rastogi
View all

You may also like these posts

3288.*पूर्णिका*
3288.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
कवि रमेशराज
जब  तक  साँसें  चलती  है, कोई  प्रयत्न  कर  ले।
जब तक साँसें चलती है, कोई प्रयत्न कर ले।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जिगर धरती का रखना
जिगर धरती का रखना
Kshma Urmila
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मोबाइल
मोबाइल
Dr Archana Gupta
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Phool gufran
"सेवा का क्षेत्र"
Dr. Kishan tandon kranti
आल्हा छंद
आल्हा छंद
seema sharma
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
होठों पे वही ख़्वाहिशें आँखों में हसीन अफ़साने हैं,
होठों पे वही ख़्वाहिशें आँखों में हसीन अफ़साने हैं,
शेखर सिंह
जग के का उद्धार होई
जग के का उद्धार होई
राधेश्याम "रागी"
बढ़ना है आगे तो
बढ़ना है आगे तो
Indu Nandal
अकेलापन
अकेलापन
लक्ष्मी सिंह
बेचारी माँ
बेचारी माँ
Shaily
Go Ahead and Touch the Sky
Go Ahead and Touch the Sky
VINOD CHAUHAN
हंसगति
हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
डियर दीपू
डियर दीपू
Abhishek Rajhans
अन्तर्मन
अन्तर्मन
Dr. Upasana Pandey
5) “पूनम का चाँद”
5) “पूनम का चाँद”
Sapna Arora
आसान होते संवाद मेरे,
आसान होते संवाद मेरे,
Swara Kumari arya
वो ठोकर से गिराना चाहता है
वो ठोकर से गिराना चाहता है
अंसार एटवी
सुनो
सुनो
sheema anmol
मात भारती
मात भारती
Dr.Pratibha Prakash
दोहा पंचक. . .
दोहा पंचक. . .
Sushil Sarna
इस तरह कब तक दरिंदों को बचाया जाएगा।
इस तरह कब तक दरिंदों को बचाया जाएगा।
सत्य कुमार प्रेमी
काफ़ी कुछ लिखकर मिटा दिया गया ;
काफ़ी कुछ लिखकर मिटा दिया गया ;
ओसमणी साहू 'ओश'
वीर अभिमन्यु– कविता।
वीर अभिमन्यु– कविता।
Abhishek Soni
इश्क लगातार तार तार है l
इश्क लगातार तार तार है l
अरविन्द व्यास
सिर्फ़ तुम्हें सुनाना चाहता हूँ
सिर्फ़ तुम्हें सुनाना चाहता हूँ
Shreedhar
Loading...