छोटू की गुल्लक
छोटू की गुल्लक
पापा ने छोटू राजा को गुल्लक एक दिलायी I
बचे खुचे पैसे रखने की आदत उसे सिखायी II
जेब खर्च से जो बचता था, गुल्लक में जाता था I
जब तब गुल्लक खोल खोल कर वह पैसे गिनता था II
धीरे धीरे बचत पांच सौ रुपयों की हो पाई I
इसी बीच में दादा जी की वर्षगाँठ भी आयी I
उस दिन छोटू ने पापा को सब पैसे पकड़ाए I
और गिफ्ट में वाकिंग स्टिक, चश्मा लेकर आये I
दादा जी ने आशीषों की उसपर झड़ी लगायी I
छोटू को फिर चाकलेट एक अच्छी सी दिलवायी I
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद I