छोटी दीवाली
छोटी दीवाली अथवा नरक चतुर्दशी
. इस दिन किया गया व्रत व पूजन यमराज को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी अथवा नरका चौदस के नाम से मनाया जाता है. इस दिन नरक से मुक्ति पाने के लिए सुबह काला तेल लगाकर अपामार्ग पौधे सहित स्नान करना चाहिए. शाम के समय यमराज के लिए दीपदान करते हैं. मान्यता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का संहार किया था.
नरक चतुर्दशी की कथा
प्राचीन समय में रन्तिदेव नाम का राजा राज्य करता था. अपने पूर्व जन्म में वह दानी धर्मात्मा था और इस जन्म में भी पूर्व कर्मों के कारण उसने कई दानादि जैसे सत्कार्य किए थे. राजा के अंत समय में यमराज उन्हें लेने आया और लाल आंखे दिखाकर बार-बार राजा से कहने लगा कि चलो तुम्हारा अंत समय आ गया है, तुम्हे नरक जाना होगा. राजा यमराज की बात सुनकर डर गया और नरक जाने का कारण पूछने लगा. यम के दूतों ने कहा कि राजन आपने जो दान पुण्य किया है उसे सारा जगत जानता है लेकिन जो पाप किए हैं वह केवल भगवान और धर्मराज ही बता सकते हैं.
यम के दूतों की बात सुनकर राजा बोला कि उन पापों को मुझे भी बताओ जिससे मैं उनका निवारण कर सकूँ. यमदूत बोले कि एक बार तेरे द्वार से एक ब्राह्मण भूख से व्याकुल हो लौट गया था. इसलिए तुम्हे नरक में जाना होगा. राजा ने दूतों से विनती की कि एक साल का समय मुझे दे दो. दूतों ने तुरंत उसकी बात मान ली और एक साल की उम्र बढ़ाकर वह वापिस चले गए. राजा ने ऋषियों से इस पाप की मुक्ति का उपाय पूछा तो ऋषियों ने कहा कि राजन आप कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करना और भगवान कृष्ण की पूजा करना. ब्राह्मण को भोजन कराना, दान देना और सार अपराध सुनाकर उससे क्षमा माँग लेना. ऎसा करने से आप पाप मुक्त हो जाओगे.
कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्दशी आने पर राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने कहा और अंत में वह विष्णुलोक को गया.
छोटी दीवाली
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही छोटी दीवाली के रुप में मनाया जाता है. इस दिन का त्यौहार विभिन स्थानों पर अपने रीति-रिवाजों से ही मनाया जाता है.भारत के भिन्न-भिन्न भागों में इसे सब अपने लोकानुसार मनाया जाता है. संध्या समय में दीपक जलाने का चलन सभी जगहों पर समान ही है.