छोटी-छोटी बातों से, ऐ दिल परेशाँ न हुआ कर,
छोटी-छोटी बातों से, ऐ दिल परेशाँ न हुआ कर,
उलझना भी जरूरी है, ज़ादा आसाँ न हुआ कर|
अकस्मात्, इस जिंदगी में कुछ भी हो जाता है,
कुछ बेतरतीब ग़र हो जाए तो हैराँ न हुआ कर|
निकलता है रास्ता ,समंदर से भी परबत से भी,
ना_उम्मीद कभी ,अंजाम के दौराँ न हुआ कर|
नदी अपनी राहें ख़ुद_ब_ख़ुद बना लेती है,
आवेश में ऐसे ,बावरी खामखाँ न हुआ कर|
हवन करते हुए हाथ जल जाते हैं ,अक्सर यहाँ,
कभी किसी के लिए यूँ _मेहरबाँ न हुआ कर|